जल संसाधन, मत्स्य पालन एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा निजी तालाबों के पुनरुद्धार हेतु योजनाएँ चलाई जा रही हैं। इनमें से एक महत्त्वपूर्ण योजना है — निजी तालाबों का जीर्णोद्धार की योजना। इस लेख में हम इस योजना का उद्देश्य, पात्रता, लाभ, प्रक्रिया, बजट व राज्यों में इसके क्रियान्वयन की जानकारी विस्तार से प्रस्तुत कर रहे हैं।
1. योजना का परिचय
“निजी तालाबों का जीर्णोद्धार की योजना” के अंतर्गत ऐसे निजी स्वामित्व वाले तालाब जिनकी जलधारण क्षमता कम हो गई हो, गाद भर गई हो, बांध, ढाँचा आदि जीर्ण हो गए हों — उन्हें पुनरुद्धार (जीर्णोद्धार) के माध्यम से पुनर्स्थापित करना है। तालाबों की मरम्मत व नवीनीकरण से मत्स्य पालन (मछली पालन) को बढ़ावा मिलता है, किसानों व मत्स्यपालकों की आमदनी बढ़ती है, जलधारण बढ़ती है व स्थानीय जल-संतुलन बेहतर होता है। उदाहरण के लिए बिहार के कई जिलों में यह योजना क्रियाशील है।
इस योजना के माध्यम से मुख्यतः निम्नलिखित लक्ष्यों को साधा जाना है:
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तालाबों की जलधारण क्षमता को बढ़ाना।
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पुराने और जीर्ण संरचनाओं का नवीनीकरण।
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मत्स्य पालन उद्योग को बढ़ावा देना।
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ग्रामीण अर्थव्यवस्था व कृषि-उपजीविका को सशक्त करना।
2. योजना का महत्व
जल संरक्षण तथा जलधारण क्षमता: तालाबों का जीर्ण होना जलधारण क्षमता को कम करता है, जिससे सूखे-बुवाई प्रभावित होती है। इस योजना से तालाबों को पुनर्स्थापित कर जल संग्रहण एवं भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा मिलता है।
मत्स्य पालन को बढ़ावा: तालाब सही हालत में हों तो मछली का उत्पादन बढ़ता है, रोजगार व आय बढ़ती है। इस प्रकार किसानों एवं मत्स्यपालकों को लाभ होता है।
पर्यावरण व पारिस्थितिकी संतुलन: तालाबों के जीर्ण होने पर गाद, बाढ़, जलीय जीवन आदि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पुनरुद्धार से पर्यावरण लाभ होता है।
ग्रामीण आजीविका: निजी तालाबों में सुधार से ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका के अवसर बढ़ते हैं और सामाजिक-आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
3. योजना के मॉडल व प्रकार
इस योजना के अंतर्गत आमतौर पर दो-प्रकार के मॉडल लागू होते हैं:
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मॉडल-१: पुराने निजी तालाबों का जीर्णोद्धार जो किसी सरकारी योजना से पिछले पाँच वर्षों में उड़ाई (ड्रेजिंग) नहीं हुआ हो।
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मॉडल-२: ऐसे निजी तालाब, जिन्हें पहले किसी सरकारी योजना के तहत बनाया गया हो लेकिन ५ वर्ष बाद क्षतिग्रस्त हो गए हों तथा पुनः जीर्णोद्धार किए जाने योग्य हों।
यह दो-मॉडल विभाजन यह सुनिश्चित करता है कि पहले से निर्मित संरचनाओं का पुनरुद्धार भी हो सके।
4. पात्रता व अनुदान की जानकारी
पात्रता:
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निजी स्वामित्व वाले तालाब जिनका स्वामित्व प्रमाणित हो।
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तालाब की स्थिति जीर्ण हो, गाद से भर गई हो या बांध/परिधि, ढाँचा में दर-दर न हो।
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आवेदनकर्ता के पास आवश्यक दस्तावेज हों जैसे भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र, बैंक खाता, पहचान दस्तावेज आदि।
अनुदान-दर:
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अन्य वर्ग (सामान्य) को लगभग ३० % तक अनुदान।
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अति पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग को ४० % तक अनुदान।
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अनुदान दो किस्तों में दिया जाता है — पहले मिट्टी संबंधी कार्यों पर आधा अनुदान, शेष कार्य पूरा होने पर शेष राशि।
लागत अनुमान:
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उदाहरण के लिए एक रिपोर्ट में प्रति इकाई लगभग ₹6 लाख तक लागत आ सकती है।
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लक्ष्य क्षेत्र आदि के अनुसार कुल हेक्टेयर में जीर्णोद्धार करना।
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5. आवेदन प्रक्रिया व जरूरी कदम
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राज्य के मत्स्य संसाधन या जल संसाधन विभाग की वेबसाइट पर पोर्टल खुलता है जहाँ ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।
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आवेदन के समय निम्नलिखित दस्तावेज सामान्यतः चाहिए होते हैं:
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पहचान पत्र (आधार/फोटो)
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बैंक पासबुक या बैंक खाता संख्या
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भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र / राजस्व रसीद
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तालाब की नक्शा, स्थिति रिपोर्ट
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जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
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अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि की अनुशंसा।
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आवेदन के बाद चयन प्रक्रिया होती है (पहले आओ- पहले पाओ या मेरिट + प्रशिक्षण (यदि मछली पालन प्रशिक्षण लिया हो) के आधार पर)।
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चयनित तालाब के जीर्णोद्धार के उपरांत विभाग द्वारा निरीक्षण कर अनुदान की राशि बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती है।
6. राज्यों में क्रियान्वयन – उदाहरण (बिहार)
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बिहार के सिवान जिले में वित्तीय वर्ष 2024-25 में ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए।
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बांका जिले में 4.25 हेक्टेयर निजी तालाब का जीर्णोद्धार निर्धारित किया गया था।
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इस प्रकार सरकार द्वारा स्थानीय स्तर पर लक्ष्य निर्धारित कर योजना क्रियान्वित की जा रही है।
7. लाभ एवं संभावित चुनौतियाँ
लाभ:
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जलधारण क्षमता में वृद्धि, बाढ़ नियंत्रण व भूजल स्तर सुधार।
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मत्स्य पालन बढ़ने से किसानों/मत्स्यपालकों की आय में वृद्धि।
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पुराने जीर्ण तालाबों को पुनर्जीवित कर पर्यावरणीय व अर्थव्यवस्था संबंधी लाभ।
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स्थानीय रोजगार के अवसर, ग्रामीण आजीविका को सशक्त करना।
चुनौतियाँ:
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आवेदन प्रक्रिया व दस्तावेजीकरण में कम-जानकारी के कारण ग्रामीणों को कठिनाई हो सकती है।
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जीर्ण अवस्था की पहचान व सही मापन में कमी।
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त्वरित अनुदान भुगतान एवं उपयुक्त निगरानी का अभाव।
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तालाब बाद में उसी तरह नहीं चल पाएँ क्योंकि उपयोग-प्रबंधन व मछली पालन की जानकारी कम हो सकती है।
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8. सुझाव एवं उपयोगी टिप्स
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तालाब स्वामी को आवेदन से पहले तालाब की स्थिति खुद देखें — गाद, ब्रॉआड, बांध की मरम्मत आदि।
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आवेदन समय पर तथा पूर्ण दस्तावेज के साथ करें — इससे चयन की संभावना बेहतर होती है।
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मछली पालन संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त करें ताकि बाद में तालाब का उत्पादन बेहतर हो सके।
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आवेदन के बाद विभाग के निरीक्षण व कार्य प्रगति पर ध्यान दें— गिरावट रोकने हेतु समय पर कार्य हो।
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तालाब के आसपास उपयोगी जैव-प्रक्रियाएँ अपनाएँ जैसे जल पत्तों की सफाई, किनारों की मरम्मत, जलप्रवाह बनाए रखना।
9. निष्कर्ष
“निजी तालाबों का जीर्णोद्धार की योजना” ऐसी पहल है जो जल-स्रोतों को पुनर्जीवित करने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और मत्स्य पालन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यदि तालाब स्वामी समय पर आवेदन करें, आवश्यक कदम लें और बाद में उचित प्रबंधन करें — तो यह योजना उन्हें लाभदायक साबित हो सकती है।