मखाना (fox nut / phool makhana) बिहार का पारंपरिक और पौष्टिक कृषि उत्पाद है — विशेषकर मिथिला क्षेत्र में इसकी पैदावार और प्रसंस्करण का लंबा इतिहास है। बिहार सरकार ने मखाना की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, किसानों की आय बढ़ाने और वैल्यू-एडिशन को बढ़ावा देने के लिए “मखाना विकास योजना” शुरू की है। यह योजना विशेष रूप से उन जिलों में लागू है जहाँ परंपरागत रूप से मखाना की खेती अधिक होती है।
योजना का उद्देश्य (Objectives)
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मखाना की खेती और नए क्षेत्रों में विस्तार को प्रेरित करना।
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उन्नत प्रजातियों (recommended varieties) का बीज उपलब्ध कराकर उत्पादकता बढ़ाना।
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किसानों को प्रशिक्षण देना और पारंपरिक उपकरणों पर आर्थिक सहायता (सहायतानुदान / सब्सिडी) देना।
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मखाना प्रसंस्करण, भंडारण और मार्केटिंग के माध्यम से मूल्य संवर्धन करना।
योजना किस-किस जिलों में लागू है?
वर्तमान रूप से योजना निम्न 10 जिलों में लागू की गई है: कटिहार, पूर्णियाँ, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, दरभंगा और खगड़िया।
पात्रता और क्षेत्र सीमा
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लाभार्थी क्षेत्र: न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) से लेकर अधिकतम 10 एकड़ (4 हेक्टेयर) तक।
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योजनात्मक लाभ: रैयत (owning cultivator) और गैर-रैयत (tenant) किसान दोनों को दिया जा सकता है — गैर-रैयतों के लिए एकरारनामा आवश्यक होगा। जमीन के प्रमाण के रूप में भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र/दो साल की बदली राजस्व रसीद/ऑनलाइन रसीद/वंशावली स्वीकार्य है।
क्या-क्या सहायता (Subsidy / Assistance)
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मखाना खेती व प्रसंस्करण के लिए तैयार किए गए परंपरागत उपकरण किट (औंका/गाँज, कारा, खेंची, चलनी, चटाई, अफरा, थापी आदि) की अनुमानित इकाई लागत ₹22,100 है। इसपर 75% सहायतानुदान यानी ₹16,575 प्रति किट दिया जाता है। यह सहायता DBT (CFMS) के माध्यम से दी जाती है।
(खबरों और स्थानीय रिपोर्टों में भी इसी 75% सब्सिडी और ₹16,575 प्रति किट का जिक्र मिलता है।)।
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बीज व उन्नत प्रजातियाँ (Seed & Varieties)
योजना के तहत राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र (मखाना), दरभंगा और भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ द्वारा अनुशंसित उन्नत प्रजातियों का बीज उपलब्ध कराया जाएगा। बीज वितरण कार्यक्रम और बीज उत्पादन का प्रावधान भी योजना में शामिल है।
आवेदन प्रक्रिया — स्टेप बाय स्टेप (How to Apply)
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ऑनलाइन आवेदन: उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग, बिहार की आधिकारिक पोर्टल पर ऑनलाइन फॉर्म भरा जाता है (Horticulture Bihar — Makhana Online Application)।
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दस्तावेज़ अपलोड/प्रदान: जमीन के स्वामित्व के प्रमाण (भूमि-स्वामित्व प्रमाण पत्र/राजस्व रसीद/वंशावली) या गैर-रैयत के लिए एकरारनामा।
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चयन और भुगतान: चयनित लाभार्थियों को CFMS-DBT के माध्यम से भुगतान किया जाएगा; राज्य स्तर पर 30% महिला भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास रहेगा।
नोट: आवेदन फ़ॉर्म और सटीक लिंक के लिए Bihar Horticulture पोर्टल पर जाएं — यहाँ से ही आवेदन पैनल एवं लाभार्थी सूची देखी जा सकती है।
मखाना में वैल्यू-एडिशन और मार्केटिंग के अवसर
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मखाना सिर्फ स्नैक्स नहीं — यह प्रॉसेसिंग के बाद प्रोटीन-रिच पाउडर, ready-to-eat पैकेट्स, मखाना फ्लेक्स, और nutraceuticals में बदला जा सकता है। APEDA और अन्य रिपोर्टों में मखाना के निर्यात-विकास पर जोर दिया गया है और मखाना बोर्ड जैसी संस्थागत पहलें भी सामने आई हैं — जिससे किसानों और MSME को एक्सपोर्ट-मार्केट का लाभ मिल सकता है।
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फायदे (Benefits) — किसान के दृष्टिकोण से
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कम निवेश-ऊपर उच्च लाभ: पारंपरिक बसंत-कृषि के मुकाबले मखाना की मांग बढ़ रही है, जिससे आय में सुधार सम्भव।
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सब्सिडी व प्रशिक्षण: उपकरणों पर 75% सब्सिडी और वैज्ञानिक प्रशिक्षण खेती की लागत घटाते हैं तथा उत्पादन बढ़ाते हैं।
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बाज़ार पहुंच: राज्य और केंद्र के कदम (APEDA/मखाना बोर्ड/रीजनल कार्यालय) से एक्सपोर्ट और ब्राण्डिंग की संभावनाएँ बढ़ रही हैं।
चुनौतियाँ और सुझाव (Challenges & Practical Tips)
चुनौतियाँ: जल-प्रबंधन, सही बीज की उपलब्धता, प्रसंस्करण मशीनरी की कमी, और मार्केट की अस्थिरता।
सुझाव:
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सरकारी बीज और प्रशिक्षण का पूरा लाभ लें।
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सहकारी समूह/एफपीओ बनाकर बियोज, संसाधन और मार्केट साझा करें।
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प्रॉसेसिंग और पैकेजिंग पर निवेश करके वैल्यू-एडिशन करें — इससे रिटेल-प्राइस बढ़ता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1: क्या सिर्फ बिहार के किसान ही आवेदन कर सकते हैं?
A: यह योजना विशेष रूप से बिहार के चयनित 10 जिलों के किसानों के लिए है; इसलिए प्राथमिक लाभार्थी वही होंगे।
Q2: उपकरण किट की लागत और सब्सिडी कितनी है?
A: अनुमानित इकाई लागत ₹22,100 है; 75% सब्सिडी लागू है (₹16,575 प्रति किट)।
Q3: आवेदन के लिए किन दस्तावेज़ों की आवश्यकता है?
A: भूमि-स्वामित्व प्रमाण पत्र/राजस्व रसीद/वंशावली आदि; गैर-रैयत के लिए एकरारनामा इत्यादि।
निष्कर्ष (Conclusion)
मखाना विकास योजना, बिहार एक उद्देश्यपूर्ण ऐतिहासिक-कृषि पहल है जो पारंपरिक मखाना किसानों को आधुनिक तकनीक, बीज, उपकरण और आर्थिक सहायता के माध्यम से सशक्त बनाती है। यदि आप योजना के लागू जिलों में मखाना की खेती करते हैं या करने की सोच रहे हैं, तो यह समय है — सरकारी पोर्टल से आवेदन कर के 75% सब्सिडी और प्रशिक्षण का लाभ उठाएँ और अपने उत्पाद को वैल्यू-एड करके उच्च बाज़ार दरें हासिल करें।